"छठ पूजा"
इस त्योहार का नाम आते ही सबसे पहले बिहार की याद आती है। यह पर्व कार्तिक मास के
शुक्ल पक्ष की षष्ठी को बिहार में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। यहाँ के
लोग होली, दीपावली और दशहरे से
ज्यादा छठ का पर्व मनाते हैं। इस दिन सूर्य देवता की पूजा की जाती है । बिहार से
जुड़े राज्य जैसे झारखण्ड, पूर्वी
उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ भागों में भी छठ का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया
जाता है।
भारत देश के साथ
साथ अमेरिका, नेपाल और मॉरिशस
में रहने वाले प्रवासी भारतीयों द्वारा भी छठ का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया
जाता है।
छठ के पर्व को
छठी, छठ पूजा, सूर्य षष्ठी, डाला छठ आदि नामों से जाना जाता है।
दीपावली के बाद
मनाया जाने वाले इस पर्व के पीछे कारण यह है की भगवान राम जब अयोध्या विजय के बाद
वापस लौटे तो उन्होंने अपने कुल देवता भगवान सूर्य की पूजा उपासना की। माता सीता
के साथ सूर्य को अर्ध्य दिया और अपने और राज्य की भलाई एवं कुशलता के लिए आशीर्वाद
मांगा। तब से छठ का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
इस त्योहार को
मनाने के पीछे दूसरा कारण ये है की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी
के दिन सूर्यपुत्र कर्ण सूर्य देव की विशेष पूजा किया करते थे और कमर तक पानी में
जाकर सूर्य देव की आराधना करते थे एवं गरीबों और ब्राह्मणों को दान भी देते थे। अपने
राजा की भक्ति से प्रभावित होकर अंगदेश वर्तमान भागलपुर (बिहार) के निवासी सूर्य
देवता की आराधना करने लगे।बाद में सूर्य पूजा का विस्तार पूरे बिहार और पूर्वांचल
और अन्य राज्यों तक हो गया।
छठ को मनाने का
यह कारण भी है की इस दिन वेदमाता गायत्री का जन्म हुआ था।
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